tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post5104727107023387049..comments2023-10-20T07:33:49.428-07:00Comments on मन के - मनके: थोडा---सलीकेवार हो जाते तो,खूबसूरत हो जातेमन के - मनकेhttp://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-48770421061651270192014-04-01T00:01:06.946-07:002014-04-01T00:01:06.946-07:00बेहद जबर्दस्त पोस्ट … बेहद जबर्दस्त पोस्ट … Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-58426377353715940732014-03-16T06:45:02.419-07:002014-03-16T06:45:02.419-07:00बहुत खूब हस्ताक्षर ना भूंलें :)बहुत खूब हस्ताक्षर ना भूंलें :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-44760538993488957522014-03-13T11:09:06.464-07:002014-03-13T11:09:06.464-07:00फ़ोटो कल्चर में लोग कैमरा देख कर ही सलीकेवार हो जात...फ़ोटो कल्चर में लोग कैमरा देख कर ही सलीकेवार हो जाते हैं...हर पल को रिकॉर्ड करके समय को रोक लेने को आतुर...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-55539816913495863222014-03-11T23:58:03.680-07:002014-03-11T23:58:03.680-07:00सलीकपल जरूरी है पर इस सलीकेपन में कभी कभी इंसान बच...सलीकपल जरूरी है पर इस सलीकेपन में कभी कभी इंसान बचपना और भोलेपन को खो देता है ... अति तो हर चीज़ कि बुरी है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-47879127510122250502014-03-11T21:24:11.568-07:002014-03-11T21:24:11.568-07:00थोड़ा सलीकापण तो जरूरी है.वरना लोग भी क्या सोच लेते...थोड़ा सलीकापण तो जरूरी है.वरना लोग भी क्या सोच लेते हैं. राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-54348130555586843942014-03-11T10:22:16.943-07:002014-03-11T10:22:16.943-07:00सच में थोड़ा सलीका होना ज़रूरी है. एक दुसरे का देख...सच में थोड़ा सलीका होना ज़रूरी है. एक दुसरे का देखा देखी ऐसे ही सब जगह हो रहा. बहुत अच्छा लिखा है, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/10256861730529252919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-41366304426589572352014-03-11T07:20:09.409-07:002014-03-11T07:20:09.409-07:00न जाने कहाँ कहाँ से मन के उन्माद को व्यक्त करने के...न जाने कहाँ कहाँ से मन के उन्माद को व्यक्त करने के तरीके ढूढ़ लिये हैं, चलिये अब सलीकेवार हो जायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com