tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post4803610639591986065..comments2023-10-20T07:33:49.428-07:00Comments on मन के - मनके: कामनी का हादसा----- मन के - मनकेhttp://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-76559503767560151242013-01-06T23:42:52.944-08:002013-01-06T23:42:52.944-08:00रिश्तों की गरिमा तो समझनी ही होगी ... सत्य को भी स...रिश्तों की गरिमा तो समझनी ही होगी ... सत्य को भी स्वीकारना होगा ... समाज के बदलाव को भी देखना होगा ... संस्कृति को भी देखना होगा ... कुल मिला के विचार तो करना होगा ... सभी को अपने अपने स्तर पे ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-64255420778216646012013-01-06T23:41:19.594-08:002013-01-06T23:41:19.594-08:00मनुष्य जैसे-जैसे भौतिक उन्नति कर रहा है वैसे-वेस...मनुष्य जैसे-जैसे भौतिक उन्नति कर रहा है वैसे-वेसे वह प्रकृतिस्थ होता जा रहा है। प्रकृति में नर और मादा है तथा प्रजनन है। लेकिन मनुष्य ने संस्कृति को अंगीकार किया और सभ्य बना। लेकिन अब लगता है कि मनुष्य क्षुद्र प्राणियों की श्रेणी में आ गया है, जो केवल काम-भाव को ही वरीयता दे रहा है। अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8879471630993719132.post-74858434969040743522013-01-06T09:20:31.283-08:002013-01-06T09:20:31.283-08:00बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com